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रविवार, 6 जून 2021

Kunal Garg

गंडुष क्रिया (आयल पुल्लिंग) के फायदे और नुक्सान - योग के आयाम

 

योग का अर्थ सिर्फ शरीर को तोडना मरोड़ना नहीं होता। योग के बहुत से आयाम हैं। योग में अनंत आसन हैं, विधियां हैं, कईं तरह के प्राणायाम हैं। एक तरह से योग जीवन जीने की कला है। 


योग का एक आयाम यह भी है जो योगी क्रियाओं से सम्बंधित है। जिसमे शरीर की सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है। जिसमे शरीर की बाहर से लेकर भीतर तक सफाई की जाती है। योग में ऐसी कईं क्रियाएं हैं और गंडुष क्रिया उनमे से ही एक है। जिसे आज बहुत लोग आयल पुल्लिंग के नाम से जानते हैं।


आज हम पुरे दिन में ना जाने कितना प्रदुषण हमारे शरीर में जाता है और ना जाने हम क्या क्या खाते हैं जो कहीं ना कहीं हमारे शरीर की आँतों में चिपका रह जाता है और इसी से ना जाने कितनी बिमारियों का जन्म होता है। इसलिए शरीर को बाहर से साफ़ करना जितना ज़रूरी है उतना ही ज़रूरी है शरीर को अंदर से साफ़ करना। हम हर रोज़ सुबह नहा लेते है और शरीर के बाहर की सफाई हो जाती है लेकिन अंदर की सफाई के बारे में हम कभी सोचते ही नहीं। लेकिन योग में इस बात का ख़ास ध्यान रखा जाता है। जिसे आज की भाषा में शरीर से टोक्सिन को निकालना कहते हैं


आयल पुल्लिंग - गंडुष क्रिया करने का क्या तरीका है।

बहुत आसान है। आपको सिर्फ एक चमच कोई भी तेल मुह में डालना है। जो की सरसों का तेल, तिल का तेल या नारियल का तेल हो सकता है और मुह बंद रखना है और मुह में ही तेल को चलाते रहना है। जो की आप अपने हिसाब से 15-20 मिनट तक कर सकते हैं। इसके बाद मुह में जमा तेल में टोक्सिन इकठे हो जाते हैं इसलिए उसे बाहर थूक दिया जाता है।


यह एक तरह से शरीर में जमी गंदगी या टोक्सिन को खिंच कर बाहर निकालने का तरीका है। जो की बहुत आसान है और हर रोज़ किया जा सकता है। जैसे हम हर रोज़ दांत साफ़ करते हैं वैसे ही यह भी कर सकते हैं। इसे हम अगर अपने रोजाना दिनचर्या में शामिल कर सकते हैं।


गंडुष क्रिया कब करनी चाहिए

जितना हो सके गंडुष क्रिया हर रोज़ सुबह खाली पेट करनी चाहिए और करीब 15-20 मिनट तक की जा सकती है।आप इसके साथ साथ कोई और काम भी कर सकते हैं जैसे चलना, कोई किताब पढना, अखबार पढना या कुछ भी। 


गंडुष क्रिया (आयल पुल्लिंग) के फायदे

सबसे पहला फायदा तो यही है की शरीर में जमा टोक्सिन व गंदगी निकल जाती है और इससे पाचन क्रिया अच्छी होती है। दांतों के लिए गंडुष क्रिया बहुत अच्छी है और इसके साथ  मुह से बदबू आना बंद होता है। इससे कफ से जुड़े कई रोग हेक हो जाते हैं।


क्या कोई नुक्सान भी हो सकता है?

वैसे तो कोई ख़ास नुक्सान नहीं होता। मगर हो सकता है की तेल मुह में डालने से मतली आने लग सकती है। या ऐसे हो सकता है की आप गलती से तेल को पी जाएँ। ऐसा बिलकुल भी नहीं करना चाहिए इस से पेट खराब हो सकता है और गले या पेट में दर्द हो सकता है क्योंकि वह टोक्सिन से भरा होता है।


क्रिया के लिए कौन सा तेल सबसे अच्छा है?

वैसे तो सभी तेल अच्छे हो सकते हैं लेकिन वह तेल सबसे ज्यादा बेहतर होता है जिसकी आयुर्वेद के अनुसार ठंडी तासीर या प्रकृति होती है। ऐसे में नारियल का तेल इसके लिए सबसे सही माना जाता है जो की आसानी से किसी भी घर में मिल सकता है जिसका हम दिन प्रतिदिन इस्तेमाल करते हैं। 

बुधवार, 2 जून 2021

Kunal Garg

सुप्रीम कोर्ट ने माँगा केंद्र सरकार से टीकाकरण को लेकर हलफनामा

 

केंद्र सरकार ने चाहे बड़े बड़े दावे किये हों लेकिन यह बात छिपी नहीं है की विश्विक माहामारी के खिलाफ भारत का टीकाकरण अभियान बिलकुल अस्त-व्यस्त है। टीके के डोस के लिए लम्बी लम्बी कतारें लगी हैं और टिके की किल्लत भी किसी से छिपी नहीं है।


बात ये उठती है की 1 अरब से ज्यादा आबादी वाले देश में क्या सरकार तय समय सीमा तक टीकाकरण अभियान को चरम तक ले जा सकती है या नहीं। जबकि अभी इसमें कई अडचनें हैं जिन्हें नज़रंदाज़ नहीं किया जा सकता जैसे की सही सुचना का अभाव, हर रोज़ की नयी अफवाहें, लोगों का तकनीक व इन्टरनेट से कम जुड़ाव और इसमें सबसे बड़ी परेशानी शामिल है टीके की कम उपलब्धता


वहीँ दुसरे देशो ने जानवरों तक को टीका लगाने का काम शुरू कर दिया है लेकिन भारत में अभी भी हम टीके की किल्लत से जूझ रहे हैं। हालांकि सरकार का दावा यह भी है की सरकार की कईं दवा कम्पनियों से बात चल रही हैं।


कितना प्रतिशत हो चूका है कोरोना के खिलाफ टीकाकरण


सुप्रीम कोर्ट ने इसी सन्दर्भ में कोरोना माहामरी से जुडी सुओ मोटू केस में केंद्र सरकार से हलफ नामा माँगा है। अदालत ने कडा रुख लेते हुए सरकार से हलफनामा माँगा है की सरकार बताये की अब तक कितनी प्रतिशत आबादी को अभी तक टीका लग चुका है।


सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट माँगा है की कितने प्रतिशत लोगों को टीके की पहली डोस व कितने प्रतिशत लोगों को टीके की दूसरी डोस लग चुकी है और इसमें से कितनी प्रतिशत ग्रामीण आबादी है व कितनी प्रतिशत शहरी आबादी है।


अभी तक खरीदी गयी सभी वैक्सीन की जानकारी


शीर्ष अदालत ने केंद्र से कोवैक्सिन, कोविशील्ड और स्पुतनिक-वी तीनो की अभी तक की गयी सारी खरीद के बारे में पूरी जानकारी मांगी है। अदालत ने सपष्ट किया की केंद्र को जानकारी देनी होगी की केंद्र ने की किन तारीखों पर तीनो वैक्सीन के लिए खरीदारी के आदेश दिए हैं व कब व किस तारिख को कितनी डोस का आदेश दिया गया व कब तक सभी आदेश की गयी वैक्सीन उपलब्ध हो सकती है।


सरकार का बची हुई आबादी के टीकाकरण के लिए क्या एक्शन प्लान है


भारत की बड़ी आबादी अभी भी टीकाकरण से बहुत दूर है। इसी सन्दर्भ में अदालत ने सरकार को यह बताने को कहा है की सरकार कैसे बची हुई आबादी के टीकाकरण के लिए विचार कर रही है और इस बारे में फेज 1, 2 व 3 में कब और कैसे बची हुई आबादी का टीकाकरण सुनिश्चित किया जा सकता है।


ब्लैक फंगस की दवाई को लेकर की शीर्ष अदालत सख्त


ब्लैक फंगस की दवाई की किल्लत नेशनल न्यूज़ बनी हुई है इसीलिए अदालत ने इस पर कड़ा रुख लेते हुए सरकार से हलफनामे में मांगा है की सरकार की ब्लैक फंगस की दवाई उपलब्ध करने के लिए क्या तैयारी है।


अदालत ने केंद्र सरकार से जनता को लगने वाली मुफ्त कोरोना की वैक्सीन के बारे में भी हलफनामा में विस्तृत जानकारी मांगी है। अदालत ने केंद्र सरकार को हलफनामा दायर करने के लिए 2 हफ्ते का समय दिया है।

मंगलवार, 23 जनवरी 2018

Kunal Garg

आर टी आई एक्ट के अनुसार थर्ड पार्टी इनफार्मेशन या जानकारी क्या होता है?

 
सुचना का अधिकार के तहत हम कोई भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं लेकिन अगर वह जानकारी आर टी आई एक्ट 2005 की धारा 8 के तहत हो या अगर वह थर्ड पार्टी इनफार्मेशन या जानकारी हो तो हम वह जानकारी प्राप्त नहीं कर सकते। तो यह थर्ड पार्टी इनफार्मेशन या तृतीय पक्ष जानकारी क्या है उसकी हम बात करेंगे।

यदि आपकी आर टी आई के तहत जानकारी प्राप्त करने के लिए दिया गया आवेदन इस वजह से खारिज कर दिया गया हो की मांगी गयी सुचना "थर्ड पार्टी इनफार्मेशन" है तो आपके मन में ज़रूर आया होगा की यह थर्ड पार्टी इनफार्मेशन या तृतीय पार्टी जानकारी क्या है?


थर्ड पार्टी इनफार्मेशन क्या है: साधारणता, तीसरी पार्टी की जानकारी वह जानकारी होती है जो जानकारी आवेदक के अलावा किसी भी अन्य व्यक्ति से संबंधित हो, अर्थात तृतीय पक्ष। इस से यह तो सुनिश्चित होता है की, यदि मांगी गई जानकारी अगर सिर्फ आपसे सम्बंधित है तो आपका आरटीआई आवेदन तीसरे पक्ष की सूचना के आधार पर अस्वीकार नहीं किया जा सकता।

थर्ड पार्टी कौन होता है: सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 2 (एन) के अनुसार सुचना मांगने वाले प्रार्थी के अतिरिक्त बाकी सभी व्यक्ति थर्ड पार्टी होते हैं।

क्या कहता है आर टी आई एक्ट, 2005: आर टी आई अधिनियम की धारा 11 थर्ड पार्टी से जुड़े कई प्रावधान हैं। जो सुनिश्चित करते हैं की यदि कोई तृतीय पक्ष से जुडी जानकारी प्राप्त करने के लिए कोई आवेदन आता है तो जन सुचना अधिकारी को क्या क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए।

थर्ड पार्टी इनफार्मेशन के आधार पर आवेदन खारिज हो सकता है या नहीं: यह बात प्रत्येक केस के तथ्यों पर निर्भर करती है जबकि यह सही है की थर्ड पार्टी इनफार्मेशन के आधार पर सुचना प्राप्त करने के लिए दिया गया आवेदन खारिज किया जा सकता है। लेकिन जन सुचना अधिकारी धारा 11 के तहत दिए गए प्रावधानों का पालन करने के लिए बाध्य है।

आप क्या कर सकते हैं: यदि आपका आवेदन इस वजह से खारिज किया जाता है की मांगी गयी सुचना "थर्ड पार्टी इनफार्मेशन" है तो ऐसे समय में आप क्या कर सकते हैं? आप ऐसे में आर टी आई की अपील डाल सकते हैं या उस थर्ड पार्टी अर्थात जिस व्यक्ति से सम्बंधित वह जानकारी है उसकी सहमती से आप वह जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

यदि जन सुचना अधिकारी बिना धारा 11 के प्रावधानों की पालना किये बिना ही आवेदन "थर्ड पार्टी इनफार्मेशन" होने के आधार पर खारिज कर देता है तो यह बात भी आप अपनी अपील में रख सकते हैं।

गुरुवार, 21 दिसंबर 2017

Kunal Garg

भारत का सविंधान हमें क्या क्या अधिकार देता है? जानिये कुछ तथ्य

 
भारत का सविंधान हमें क्या क्या अधिकार देता है? जानिये कुछ तथ्य
Kunal Garg

आर टी आई (RTI) लगाने से पहले इन बातों पर विचार ज़रूर करें

 

क्या आप भी सोच रहे हैं की किसी सुचना को प्राप्त करने के लिए आर टी आई लगायें? लेकिन आई टी आई से जुड़े कुछ तथ्य हैं जो आपको जानने चाहिए। आर टी आई (RTI) लगाने से पहले इन बातों पर विचार ज़रूर करें।

आर टी आई के तहत सुचना प्राप्त करना कोई ज्यादा मुश्किल नहीं है व इसके लिए कोई ज्यादा क़ानूनी जानकारी की आवश्यकता नहीं है। एक आम आदमी भी आर टी आई के तहत आसानी से सुचना प्राप्त कर सकता है। लेकिन फिर भी हमें कुछ तथ्यों की जानकारी होनी आवश्यक है जो को आर टी आई से जुड़े हैं जिनपर हम आज इस पोस्ट में विचार करेंगे।

व्यक्तिगत प्रतिशोध: सुचना का अधिकार एक आम आदमी को भी काफी ताकत देता है जिस से की वह किसी से भी सुचना प्राप्त कर सकता है जिस से किसी की भी जवाबदेही तय की जा सकती है। लेकिन सुचना के अधिकार का कोई भी गलत इस्तेमाल नहीं किया जा सकता इसलिए इसका गलत इस्तेमाल कभी करने का भी ना सोचें।

साधारणतय देखा जाता है की अगर किसी की किसी सरकारी अधिकारी से व्यक्तिगत अनबन हो तो वह उसे आर टी आई के नाम से डराता है जबकि यह बिलकुल गलत है।

व्यक्तिगत प्रतिशोध व किसी को परेशान करने की नियत से लगाईं गयी आर टी आई की दरखास्त हमेशा खारिज की जाती है। जो की आर टी आई अधिनियम, 2005 सिर्फ उन दर्खास्तों के बारे में है जो समाज के कल्याण के लिए ज़रूरी होती हैं। 

विनम्र रहे: यह भी विशेष ध्यान रखना चाहिए की आप विनम्र रहे। जब भी आप सुचना या जानकारी प्राप्त करने के लिए दरखास्त लिखें तब ऐसे शब्द प्रयोग करें जो सभ्य हों व आप विनम्र लगें। सुचना अधिकारी को भी यकीन आये की आप सुचना जन कल्याण के लिए प्राप्त करना चाहते हैं। 

उदहारण के लिए, यदि आपके बिजली का बिल ज़रूरत से कई ज्यादा आ जाए तो आप आर टी आई में उसकी विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। लेकिन ऐसे में आपको अपने शब्दों पर ध्यान रखना पड़ेगा। जैसे की आप अपनी दरखास्त में यह नहीं कह सकते की "किस आधार पर मुझे इतना सारा बिजली का बिल भेजा गया है?"

जबकि आपका आवेदन विनम्रता पूर्ण होना चाहिए, आप लिख सकते हैं "कृपया मुझे बिजली बिल भेजे जाने बारे विस्तृत जानकारी प्रदान करने की कृपा करें"


अच्छी तरह से तैयार किया गया आवेदन: इस बारे में भी ख़ास ध्यान देना चाहिए की सुचना प्राप्त करने के लिए दिया गया आवेदन अच्छी तरह से तैयार किया गया हो। जैसे की जो जानकारी मांगी गयी है उसका उचित ब्यौरा होना अति अवशायक है तभी सुचना अधिकारी जानकारी उपलब्ध करवा सकता है। 

कई और भी बातें हैं जैसे की, आवेदन में प्रार्थी का नाम पता आदि भी सही से लिखा होना चाहिए ताकि सुचना अधिकारी प्रार्थी आसानी से संपर्क कर सके और मांगी गयी सुचना दे सके

जैसे की बिजली बिल के बारे में जानकारी प्राप्त करने वाली बात है, ऐसे आवेदन में मीटर नंबर, बिजली बिल नंबर, दिनांक, बिल किसके नाम से आता है आदि भी ज़रूरी हैं जो की आवेदन पत्र में लिखे होने चाहिए जिससे सुचना अधिकारी को पता चल सके की सुचना किस बारे मांगी गयी है

छोटा आवेदन पत्र लिखें: यह भी ज़रूरी है की आप मांगी गयी जानकारी के लिए जो भी आवेदन दें, उसे थोडा छोटा रखें व उसमे सिर्फ इतनी है जानकारी दे जो की ज़रूरी है। इस से सुचना अधिकारी को भी आसानी होती है जिससे बेवजह की देरी नहीं होती
  
हरियाणा में ऐसा कानून है की आपका सुचना प्राप्त करने के लिए दिया गया आवेदन सिर्फ कुछ शब्दों में ही सिमित रहना चाहिए व उस से ज्यादा शब्द नहीं होने चाहिए। हालांकि, यदि किसी आर टी आई के तहत दरखास्त में तय सीमा से ज्यादा शब्द हों तो सिर्फ इस वजह से आर टी आई की दरखास्त खारिज नहीं की जा सकती

सुचना प्राप्त करना हमारा मौलिक अधिकार है लेकिन यह अधिकार सिर्फ तभी सभी का भला कर सकता है अगर इसका इस्तेमाल अच्छी तरह से किया जाए

मंगलवार, 19 दिसंबर 2017

Kunal Garg

आर टी आई (RTI) से जुडी कुछ आवश्यक जानकारी ज़रूर पढ़ें

 



क्या आप जानते हैं सुचना का अधिकार जिसे आर टी आई (RTI) भी कहते हैं वह क्या है? और यह हमें क्या क्या अधिकार देता है? आर टी आई (RTI) से जुडी कुछ आवश्यक जानकारी ज़रूर पढ़ें।

सुचना का अधिकार (RTI) क्या है: RTI का मतलब है राईट टू इनफार्मेशन जो हर भारतीय नागरिक को उसके जन्म के साथ मिलता है। यह हर भारतीय का मौलिक अधिकार है जिसके ज़रिये वह कोई भी जानकारी प्राप्त कर सकता है जो किसी भी सरकारी दफ्तर से जुडी हुई हो या फिर किसी ऐसी संस्था से जुडी हुई हो जिसे सरकार चलाती हो या सरकार उसमे पूंजी लगाती हो।

आर टी आई की क्या ज़रूरत है: मान लीजिये, आप किसी काम के लिए जो आपके लिए बहुत ज़रूरी है उसके लिए किसी सरकारी दफ्तर में जाते हैं लेकिन वहाँ जैसा आपने सोचा था वैसा नहीं होता जबकि आपका काम सही ढंग से नहीं किया जाता। ऐसे में एक छोटी सी आर टी आई की दरखास्त बहुत अच्छा काम कर सकती है। आर टी आई की वजह से उस सरकारी अफसर को जवाब देना पड़ता है और इस से जवाबदेही तय होती है।

कौन कौन आर टी आई लगा सकता है: हर भारतीय नागरिक के पास सुचना का अधिकार है। मतलब, कोई ऐसा व्यक्ति जो भारत का नागरिक ना हो वह आर टी आई कानून के तहत जानकारी प्राप्त नहीं कर सकता।

क्या जानकारी प्राप्त करने की कोई फीस है: आई टी आई की दरखास्त के साथ कुछ फीस अनिवार्य है जो भारत में हर राज्य की अलग अलग है। हालांकि, यह साधारणतया ज्यादातर हर राज्य में 10 रूपये है। जैसे पहले आर टी आई की फीस हरियाणा में 50 रुपये थी जिसे घटा कर 10 रुपये कर दिया गया था। यह फीस नकद, पोस्टल आर्डर, डिमांड ड्राफ्ट के ज़रिये दी जा सकती है।

आर टी आई के तहत क्या क्या जानकारी प्राप्त की जा सकती है: आर टी आई के तहत कोई भी जानकारी प्राप्त की जा सकती है अगर वह सुचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 8 के तहत ना आती हो या फिर किसी थर्ड पार्टी से जुडी हुई ना हो। हालांकि, यह प्रत्येक केस के तथ्यों से निर्धारित किया जाता है।